10 माओवादियों ने हथियार के साथ किया आत्मसमर्पण, 33 लाख का था इनाम

सुकमा। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र सुकमा पर दशकों से छाया लाल साया अब छट रहा है. सरकार की पुनर्वास नीति और सुरक्षाबलों की कार्रवाई ने नक्सलवाद को समाप्ति पर ला खड़े कर दिया है. नक्सलियों के सरेंडर का सिलसिला जारी है. इसी कड़ी में शुक्रवार को 10 माओवादियों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया. इनमें 6 महिला माओवादी भी शामिल हैं, जिनपर 33 लाख रुपए का इनाम घोषित है. नक्सलियों के आत्मसमर्पण के दौरान पुलिस अधिकारी और समाज प्रमुख मौजूद रहें।

हथियार किए जमा

आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों में PLGA बटालियन नंबर 1 के प्लाटून कमांडर (CyPCM रैंक), दरबा डिवीजन के 2 एरिया कमेटी सदस्य (ACM), PLGA मिलिट्री प्लाटून नंबर 31 के 1 PPCM सदस्य, PLGA मिलिट्री प्लाटून नंबर 26 के 1 PPCM सदस्य, गोल्लापल्ली LOS के 2 सदस्य और 3 पार्टी सदस्य (PM) शामिल हैं. इन आत्मसमर्पित कैडरों ने 01 AK-47, 02 SLR राइफलें, 01 स्टेन गन, 01 BGL लॉन्चर भी सुरक्षा बलों के समक्ष विधिवत रूप से जमा किए हैं, जिन हथियारों को जमा करने पर कुल 08 लाख रुपए का इनाम घोषित था.

बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुन्दरराज पत्तिलिंगम ने कहा कि जिला सुकमा में 10 माओवादी कैडरों का पुनर्वास यह दर्शाता है कि हिंसक और जनविरोधी माओवादी विचारधारा का अंत अब निकट है. लोग ‘पूना मारगेम : पुनर्वास से पुनर्जीवन’ पहल पर भरोसा जताते हुए शांति, गरिमा और स्थायी प्रगति का मार्ग चुन रहे हैं. छत्तीसगढ़ शासन, भारत सरकार, बस्तर पुलिस, स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा बल—क्षेत्र में शांति स्थापित करने, पुनर्वास सुनिश्चित करने और समावेशी विकास को आगे बढ़ाने के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध हैं.

बस्तर रेंज में 1514 से अधिक माओवादियों ने डाले हथियार

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि पिछले 11 महीनों में बस्तर रेंज में 1514 से अधिक माओवादी कैडरों ने हिंसा का मार्ग छोड़कर सामाजिक मुख्यधारा से जुड़ने का निर्णय लिया है. शेष माओवादी कैडर — जिनमें Politburo सदस्य देवजी, DKSZC सदस्य पाप्पा राव, देवा (Barse Deva) तथा अन्य शामिल हैं — के पास हिंसा त्यागकर मुख्यधारा में शामिल होने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है.”

सुकमा जिले में 2025 में अबतक 263 नक्सलियों का सरेंडर

पुलिस अधीक्षक सुकमा ने यह भी जानकारी दी कि आज की कार्रवाई के बाद वर्ष 2025 में जिले में कुल 263 माओवादी कैडर हिंसा त्यागकर मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं.

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