कोरबा के गेवरा माइंस में भूविस्थापितों पर लाठीचार्ज

कोरबा। छत्तीसगढ़ के कोरबा में एसईसीएल प्रबंधन और खदान से प्रभावित ग्रामीणों की लड़ाई खूनी संघर्ष की ओर अग्रसर हो रही है। आज गेवरा खदान में आंदोलन कर रहे भूविस्थापितों पर CISF के जवानों ने लाठीचार्ज करते हुए जमकर लाठी भांज दी। बताया जा रहा है इस घटना के दौरान खदान क्षेत्र में भगदड़ की स्थिति निर्मित हो गयी। जिसके बाद नाराज ग्रामीणों ने पुलिस में इस घटना की शिकायत करने के बाद गेवरा खदान के मुख्य गेट पर चक्काजाम कर दिया है, स्थिति काफी तनावपूर्ण बतायी जा रही है।

गौरतलब है कि एसईसीएल की गेवरा,दीपका और कुसमुंडा खदान का विस्तार जारी है। खदान के विस्तार के लिए एक तरफ एसईसीएल प्रबंधन अधिग्रहित गांवो को खाली कराने की जुगत में है। वहीं दूसरी तरफ खदान से प्रभावित होने वाले भूविस्थापित एसईसीएल प्रबंधन से नौकरी, उचित विस्थापन और आज के दर पर मुआवजे की मांग पर अड़े हुए है। इन्ही मांगो को लेकर पिछले दिनों ग्राम भिलाई बाजार में त्रिपक्षीय वार्ता के दौरान ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा था। विवाद इतना बड़ा कि कटघोरा एसडीएम और पुलिस के सामने ही नाराज ग्रामीणों ने एसईसीएल के एक अधिकारी की पिटाई कर दी थी।

इस घटना के बाद अब आज ग्रामीणों पर सीआईएसएफ के जवानों ने जमकर लाठियां भांजी है। बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेतृत्व में भूविस्थापित रोजगार, बसावट और मुआवजा की मांग को लेकर गेवरा खदान में शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे। इस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस और CISF बल मौके पर उपस्थित थी। प्रदर्शन शांति पूर्ण ढंग से चल रहा था और एसईसीएल के अधिकारी वार्ता के लिए भूविस्थापितों को बुला रहे थे। इसी बीच सीआईएसएफ के अधिकारी ने भूविस्थापितों के साथ गाली-गलोच करना शुरू कर दिया। ग्रामीणों ने जब इसका विरोध किया तो सीआईएसएफ के अफसर ने लाठीचार्ज का आदेश दे दिया।

जिसके बाद भू-विस्थापितों पर सीआईएसएफ के जवानों ने जमकर लाठियां भांजते हुए उन्हे दौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया। आरोप है कि इस घटना में जिला सचिव दीपक साहू, रमेश दास, बिमल दास, गुलाब को गंभीर चोट आने के बाद भी जवानों ने पकड़कर उन्हे थाने ले जाने लगे। जिसका भूविस्थापितों ने एकजुट होकर जब विरोध किया तो सीआईएसएफ के जवान घायलों को बीच रास्ते में ही छोड़कर भाग गये।  जिसके बाद भू विस्थापितों ने दीपका थाना पहुंचकर इस घटना की शिकायत कर लाठीचार्ज का आदेश देने वाले CISF के अधिकारी के खिलाफ अपराध दर्ज करने की मांग की है।

गेवरा खदान के मुख्य गेट पर धरने पर बैठे ग्रामीणों

एसईसीएल गेवरा खदान में सीआईएसएफ के लाठीचार्ज की जानकारी मिलते ही ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। बताया जा रहा है कि दीपका थाने में शिकायत देने के बाद इस घटना से आक्रोशित ग्रामीणों ने गेवरा खदान के मेन गेट पर धरना देकर मुख्य मार्ग का बंद कर दिया है। दूसरी तरफ एसईसीएल प्रबंधन ने किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए मौके पर बड़ी संख्या में सीआईएसएफ जवानों की तैनाती की गयी है।

अगर कोई अनहोनी हो जाती तो कौन होता जिम्मेदार… ?

एसईसीएल के गेवरा माइंस में आज जिस तरह से सीआईएसएफ अफसर के कमांड पर जवानों ने निहत्थे भूविस्थापितों पर लाठिया भांजी है, उसने कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा दिया है। वायरल वीडियों में देखा जा सकता है कि जिस वक्त ये घटना हुई, उस वक्त खदान के दूसरे हिस्से में कोयला उत्पादन का काम जारी था और भारी वाहन खदान में चल रहे थे। इसी दौरान लाठीचार्ज होने से ग्रामीणों के बीच भगदड़ मच गयी। यदि इस भगदड़ के दौरान खदान में चलने वाले भारी वाहन की चपेट में आकर किसी ग्रामीण की मौत हो जाती तो इसका जिम्मेदार कौन होता ? यदि लाठीचार्ज के जवाब में नाराज ग्रामीण खूनी संघर्ष पर उतारू हो जाते तो इसकी जवाबदारी किसकी होती ? ये वो सवाल है, जिसने एसईसीएल प्रबंधन और जिले की कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा दिया है।

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