रायपुर। बंगाल की खाड़ी में बने सिस्टम के कारण छत्तीसगढ़ में मौसम में बदलाव देखने को मिलेगा। प्रदेश के कई जिलों में 27 से 30 अक्टूबर तक हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है। मौसम विभाग ने बस्तर संभाग के जिलों में ऑरेंज अलर्ट और प्रदेश के अन्य हिस्सों में यलो अलर्ट जारी किया है। बारिश के चलते धान की खड़ी और कटी फसलों को नुकसान पहुंचने की आशंका जताई जा रही है।बंगाल की खाड़ी के ऊपर बना नया मौसम तंत्र (Low Pressure System) राज्य के अधिकांश हिस्सों में बारिश लेकर आ सकता है। मौसम विभाग के अनुसार, रविवार से प्रदेश में हल्की से मध्यम बारिश शुरू होगी, जो अगले चार दिनों तक जारी रह सकती है।
बस्तर संभाग के जिलों में अधिक प्रभाव
मौसम वैज्ञानिकों ने बताया कि आगामी दिनों में बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर, कांकेर और कोंडागांव जिलों में गरज-चमक के साथ बारिश की संभावना है। 29 अक्टूबर को बीजापुर और दंतेवाड़ा जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। इन इलाकों में भारी बारिश और बिजली गिरने का खतरा बना रहेगा। वहीं, कांकेर, कोंडागांव, नारायणपुर, बस्तर, सुकमा, रायपुर, बलौदाबाजार, महासमुंद, धमतरी, गरियाबंद, जशपुर, कोरबा, जांजगीर-चांपा और रायगढ़ जिलों में यलो अलर्ट घोषित किया गया है।
रायपुर में उमस के बाद हल्की बारिश की संभावना
शनिवार को रायपुर में पूरे दिन बादल छाए रहे, जिससे उमस और बढ़ गई थी। वहीं रविवार को भी राजधानी में आंशिक रूप से बादल छाए रहने और शाम तक हल्की बारिश होने की संभावना है। मौसम विभाग का कहना है कि प्रदेश के उत्तरी और मध्य हिस्सों में तापमान में गिरावट के साथ ठंडी हवाएं चलने लगेंगी।
बिजली गिरने का अलर्ट जारी
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में गरज-चमक के साथ बिजली गिरने की संभावना है। इसलिए लोगों को खेतों या खुले मैदानों में लंबे समय तक रुकने से बचने की सलाह दी गई है। गरियाबंद, धमतरी, जशपुर और रायगढ़ जैसे जिलों में बिजली गिरने के मामलों की आशंका के चलते प्रशासन को अलर्ट पर रखा गया है।
कृषि पर पड़ेगा असर
अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में होने वाली इस बारिश से किसानों की परेशानी बढ़ सकती है। कई इलाकों में धान की कटाई का काम चल रहा है, जबकि कुछ जगहों पर फसल कटने के बाद खेतों में रखी हुई है। यदि भारी बारिश होती है, तो इन कटी हुई फसलों के भीगने और खराब होने का खतरा बढ़ जाएगा। विशेषज्ञों का कहना है कि जिन क्षेत्रों में धान की बालियां अभी पकी नहीं हैं, वहां लगातार नमी से उत्पादन पर भी असर पड़ सकता है।

