नक्सली नेता हिड़मा की मौत पर टीएस सिंहदेव ने कहा – हिंसा का रास्ता अपनाने वालों का अंत भी हिंसक होता है

रायपुर। नक्सली नेता हिड़मा की मौत पर छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा, हिड़मा नक्सलियों का बड़ा लीडर था, उसकी मौत एक अहम उपलब्धि है। लगातार कार्रवाई चल रही है और कई नक्सली हथियार डाल रहे हैं। हिंसा का रास्ता अपनाने वालों का अंत भी हिंसक ही होता है।

झीरम घाटी हमले में हिड़मा का नाम था, क्या न्याय मिला? इस मामले में सिंहदेव ने कहा, अभी बहुत कुछ बाकी है, जांच तो हुई ही नहीं है। हिड़मा का नाम किस बिंदु पर आया, ये नक्सली घटना नहीं, प्रायोजित घटना थी। भले ही उसमें हिड़मा का नाम आया, जब तक पूरी बात नहीं लाएंगे कुछ नहीं होगा।

नक्सल मुद्दे पर BJP ले रही क्रेडिट, इस मामले में टीएस सिंहदेव ने कहा, अगर दो साल में कार्रवाई तेज हुई तो उसके प्रमाण सामने हैं, लेकिन नक्सलवाद खत्म करने का काम पिछले एक दशक से चल रहा है। कांग्रेस सरकार में भी कई बड़े एनकाउंटर हुए, सिल्गेर की घटना उसी समय की है, श्रेय लेने की राजनीति नहीं होनी चाहिए। 2026 से पहले नक्सलवाद खत्म होने के दावे पर सिंहदेव ने कहा, राज्य और केंद्र की संयुक्त कार्रवाई जारी है। मार्च 2026 से पहले भी नक्सलवाद खत्म हो सकता है, अगर ग्राउंड से जुड़े लोग कहें कि गतिविधियां रुक गई है तो हम खुशी से स्वीकार करेंगे कि नक्सलवाद समाप्त हो चुका है।

धान खरीदी पर सरकार की नीति गलत

धान खरीदी पर टीएस सिंहदेव ने कहा, सरकार की नीति गलत है। पहले 72 घंटे के भीतर धान उठाव का नियम था, अब भंडारण की जगह नहीं तो किसानों का नुकसान हो रहा है। 4–5% Moisture घटने पर वजन कम हो रहा है, जिसकी भरपाई मार्कफेड से हो रही। दूसरे विभाग के अधिकारियों से खरीददारी कराई जा रही है। जिन सहकारी कर्मचारियों के जरिए धान की खरीदी की जानी चाहिए उनकी मांग नहीं सुनी जा रही।

SIR की प्रक्रिया बहुत जटिल, BLO-वार्ड मेंबर के बीच समन्वय नहीं

SIR फॉर्म प्रक्रिया पर टीएस सिंहदेव ने कहा, नाम के लिए पसीना भर नहीं निकला, SIR फॉर्म इतना जटिल है कि मुझे खुद 20 बार सोचना पड़ा कि गलती न हो जाए। अबूझमाड़ के लोग, अन्य ग्रामीण इस प्रक्रिया को कैसे समझेंगे? 2003 की सूची की फोटोकॉपी लोगों के पास नहीं है। गांवों में फॉर्म बांटने की अव्यवस्था, फोटो लगे या न लगे – स्पष्ट नियम नहीं, गलत भरा फॉर्म सीधा रिजेक्ट होगा। आधे से ज्यादा ग्रामीणों के नाम जुड़ नहीं पाएंगे। BLO-वार्ड मेंबर के बीच समन्वय की भारी कमी है। प्रक्रिया इतनी जटिल है कि लोगों का नाम कट जाए तो आश्चर्य नहीं होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *