रायपुर। शहर के चौपाटी संचालकों को अचानक मिले नोटिस और अलसुबह 6 बजे तक सामान हटाने के निर्देश पर पूर्व महापौर एजाज़ ढेबर ने कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि जिस चौपाटी का नक्शा, डिजाइन और पूरी संरचना वरिष्ठ अधिकारियों की देखरेख में तैयार की गई थी, वह आज अचानक “अवैध” कैसे घोषित हो रही है?
ढेबर ने कहा कि प्रशासन द्वारा दिए जा रहे कारण वास्तविकता से मेल नहीं खाते। “स्कूल-कॉलेज का बहाना दिया जा रहा है, तो क्या बूढ़ापारा की चौपाटी वैध है? वहां भी तो गर्ल्स स्कूल और कई शिक्षण संस्थान मौजूद हैं। वहां सब ठीक है और यहाँ सब गलत — यह दोहरा रवैया जनता को साफ दिख रहा है।”
उन्होंने आगे कहा कि मात्र क्षेत्रीय विधायक की ज़िद और ऊटपटांग कारणों के चलते छोटे कारोबारियों और चौपाटी संचालकों की रोज़ी-रोटी पर संकट खड़ा कर दिया गया है।
ढेबर ने प्रशासन से अपील की कि बिना किसी स्पष्ट नियम, बिना वैध प्रक्रिया और बिना सुनवाई किए इस तरह के आदेश न जारी किए जाएँ। अचानक कार्रवाई न केवल अमानवीय है, बल्कि कानूनी रूप से भी सवालों के घेरे में है। जिम्मेदारी से बचने के बजाय प्रशासन को समाधान देना चाहिए।
ढेबर ने अंत में कहा, चौपाटी पर काम करने वाले ये सिर्फ दुकानदार नहीं, सैकड़ों परिवारों का सहारा हैं। अचानक आए नोटिस ने उनके बच्चों की पढ़ाई, घर का खर्च, पूरे भविष्य को अनिश्चितता में धकेल दिया है। प्रशासन और जनप्रतिनिधि समझ लें — रोज़गार छीनने से पहले इन परिवारों की आँखों में उतर कर देखें। ज़बरदस्ती की कार्रवाई से विकास नहीं होता, बल्कि लोगों की बद्दुआ लगती है। गरीबों और छोटे कारोबारियों के आंसू हल्के मत समझिए — यह शहर उनका भी उतना ही है जितना किसी कुर्सी पर बैठे व्यक्ति का।

