SIR के खिलाफ देशभर में माहौल, सरकार को झुकना पड़ा… जमीन गाइडलाइन और प्रदेश सरकार के दो साल पूरे होने पर भी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने साधा निशाना

रायपुर। SIR को लेकर राज्य की सियासत लगातार गर्म है। दिल्ली दौरे से लौटे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात की। उन्होंने दावा किया कि देशभर में SIR के खिलाफ माहौल बन गया है, जिसके दबाव में केंद्र सरकार संसद में चर्चा को तैयार हुई। बघेल ने कहा कि शुरू में केंद्र मान जाता तो दो दिन की देरी और विवाद नहीं होता, इसकी जिम्मेदारी सरकार की है।

जमीन की नई गाइडलाइन दरों पर भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल की चिट्ठी को लेकर बघेल ने तंज कसते हुए कहा कि “बृजमोहन खुद स्वीकार कर रहे हैं कि उनकी सरकार में चलती नहीं है।” उन्होंने दावा किया कि उनके कार्यकाल में गाइडलाइन 30% कम की गई थी, जिससे रियल एस्टेट सेक्टर को बड़ी राहत मिली थी और मिडिल क्लास अपने सपने पूरे कर पा रहा था। नई गाइडलाइन को उन्होंने आम और मध्यमवर्ग दोनों के लिए नुकसानदायक बताया और कहा कि “सरकार शायद अपने आकाओं के करीबी लोगों को फायदा पहुंचाने की तैयारी में है।”

प्रदेश सरकार के दो साल पूरे होने पर पूर्व सीएम बघेल ने कहा कि “सरकार के दो साल पूरे होने से पहले ही लोग सड़कों पर उतर आए हैं। व्यापारी, बेरोजगार और कर्मचारी—सब परेशान हैं। सरकार नाम की कोई व्यवस्था नहीं बची, यह पर्ची वाली सरकार है, जो अहमदाबाद और दिल्ली से चल रही है।”

अंबिकापुर कोयला खदान विवाद पर उन्होंने कहा कि नियमों का पालन नहीं होगा तो टकराव स्वाभाविक है। “यदि जमीन छीनी जाएगी और उचित मुआवजा नहीं दिया जाएगा तो गरीब क्या करेंगे?” उन्होंने कहा कि भिलाई, दुर्ग के बाद अब सरगुजा में आंदोलन सरकार की नाकामी का नतीजा है।

बीजापुर मुठभेड़ में 12 नक्सलियों के ढेर होने और 3 जवानों के शहीद होने पर बघेल ने जवानों को श्रद्धांजलि दी और परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की।

PMO को सेवा तीर्थ घोषित करने के मुद्दे पर बघेल ने कहा, “तीर्थ दर्शन के लिए लोग जाते हैं, लेकिन क्या PMO का तीर्थ आम जनता के लिए खुलेगा? क्या VIP और आम भक्त के लिए अलग व्यवस्था होगी? इसमें जनरल के लिए कोई स्थान नहीं है।”

वहीं नेहरू–बाबरी मस्जिद विवाद पर राजनाथ सिंह के बयान को ‘हल्का’ करार देते हुए उन्होंने कहा कि अगर उनके पास तथ्य हैं तो सामने रखें, लेकिन समाज को बांटने की कोशिश न करें। उन्होंने पूछा कि “50–60 साल पुराने मुद्दों को उठाने वाले मंत्री वर्तमान समस्याओं पर क्यों चुप हैं?”

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