डब्बाकोंटा में बड़ी ग्रामसभा: तेंदूपत्ता खरीदी अनियमितता, वन सीमांकन और SIR सूची पर हुई विस्तृत चर्चा

सुकमा। कोंटा ब्लॉक के डब्बाकोंटा ग्राम पंचायत में ग्राम सभा के संवैधानिक अधिकारों और संबंधित प्रावधानों को लेकर एक बड़ी सामाजिक जनसभा आयोजित की गई, जिसमें विभिन्न पंचायतों के ग्रामीण भारी संख्या में शामिल हुए। इस दौरान ग्रामीणों ने अपने-अपने गांवों की प्रमुख समस्याएं सामने रखीं और इनके समाधान पर विस्तृत चर्चा की गई। कार्यक्रम में जनप्रतिनिधियों, सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारियों तथा गांवों के पारंपरिक प्रतिनिधि—पटेल, पुजारी, पेरमा, मांझी, चालकी और कोटवार—उपस्थित रहे।

तेंदूपत्ता खरीदी में अनियमितता पर तीखा विरोध

जनसभा में तेंदूपत्ता खरीदी में हो रही अनियमितता प्रमुख मुद्दा रहा। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि शासन के नियमों के अनुसार अंतिम पत्ते तक खरीदी की जानी चाहिए, लेकिन कई केंद्रों में 3–4 दिन बाद ही खरीदी बंद कर दी जाती है। इससे हजारों बंडल तेंदूपत्ता जंगलों में छूट जाता है और बड़ी संख्या में आदिवासी परिवारों की आय प्रभावित होती है। ग्रामीणों ने इसे उनकी आजीविका पर सीधा प्रहार बताया।

वन भूमि सीमांकन पर भी जताई आपत्ति

ग्रामीणों ने वन भूमि सीमांकन और सर्वे कार्य पर गंभीर सवाल उठाए। उनका कहना था कि पारंपरिक सीमाओं की अनदेखी कर खेतों के भीतर जबरन सीमांकन किया जा रहा है, जिससे निजी भूमि को वन भूमि के रूप में दर्ज किए जाने का खतरा बढ़ गया है। ग्रामीण नेताओं ने आरोप लगाया कि यह पूरी प्रक्रिया ग्राम सभा की अनुमति के बिना हो रही है, जो पेसा कानून और वन अधिकार अधिनियम का उल्लंघन है।

पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने वन विभाग पर साधा निशाना

पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने वन विभाग की नीतियों को नक्सलवाद बढ़ने का कारण बताते हुए कहा कि वर्षों से आदिवासियों के अधिकारों की अनदेखी की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि कई ग्रामीणों को जरूरत के अनुरूप भूमि अधिकार पट्टा नहीं दिया जा रहा और बाहरी ठेकेदारों द्वारा छल से भूमि खरीदे जाने की घटनाएं बढ़ रही हैं।
कुंजाम ने बस्तर में स्वीकृत रेल परियोजना पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि यह विकास के नाम पर बैलाडीला की खनिज संपदा बाहर ले जाने की योजना है, जिसका स्थानीय आदिवासी समुदाय को लाभ नहीं मिलेगा।

सर्व आदिवासी समाज की प्रतिक्रिया

सर्व आदिवासी समाज के संभागीय उपाध्यक्ष वेको हुंगा ने कहा कि नक्सलवाद कमजोर पड़ने के बाद भी कई क्षेत्रों में योजनाओं का लाभ सही तरीके से नहीं पहुंच रहा। उन्होंने कहा कि सामूहिक पट्टा और सीमांकन पट्टा तैयार होने तक आदिवासियों को अपने अधिकारों का पूरा लाभ नहीं मिल पाएगा। हुंगा ने आरोप लगाया कि सत्ता पक्ष के कुछ आदिवासी नेता योजनाओं को अपने स्वार्थ के लिए प्रभावित कर रहे हैं।

SIR सूची में नाम दर्ज कराने की अपील

सर्व आदिवासी समाज के जिला अध्यक्ष उमेश सुंडम ने ग्रामीणों से आग्रह किया कि वे तुरंत SIR की आधिकारिक सूची में अपना नाम दर्ज कराएँ। उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड में नाम न होने पर किसी भी सरकारी योजना—आवास, पेंशन, तेंदूपत्ता खरीदी आदि—का लाभ नहीं मिल सकेगा।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व विधायक मनीष कुंजाम, सर्व आदिवासी समाज के उपाध्यक्ष वेको हुंगा, जिला अध्यक्ष उमेश सुंडम, अधिवक्ता भीमा पोडियम, जनपद सदस्य सोयम भीमा, जनपद पंचायत उपाध्यक्ष माड़वी हिडमा, कोंटा रेंजर महेश पासवान, जगरगुंडा एसडीओ भट्ट सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।

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