नई दिल्ली/रायपुर। “भारत के ऊर्जा भविष्य में छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। वे हरित, सुरक्षित, उद्योग-केंद्रित और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में निर्णायक योगदान देंगे। मेरी प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि छत्तीसगढ़ और भारत इस तकनीकी क्रांति में अग्रणी बनें।
यह कहना है रायपुर सांसद एवं वरिष्ठ भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल का जिन्होंने बुधवार को लोकसभा में भारत की भावी ऊर्जा रणनीति के केंद्र में उभर रहे छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) परिनियोजन को लेकर एक व्यापक, दूरदर्शी और राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा से जुड़ा अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया।
उन्होंने न सिर्फ भारत की ऊर्जा नीति को नई दिशा देने वाले, बल्कि स्वदेशी तकनीक, औद्योगिक विकेंद्रीकरण, हरित ऊर्जा, हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था, और घरेलू विनिर्माण की दिशा में निर्णायक कदम को लेकर के रूप में देखे जा रहे हैं।
सांसद बृजमोहन ने छत्तीसगढ़ में एनटीपीसी के साथ परमाणु परियोजनाओं को लेकर 2025 में किए गए एमओयू के तहत संभावित परियोजनाओं की स्थिति और क्षमता निर्धारण पर सरकार से विवरण मांगा।
सांसद अग्रवाल ने स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) के लिए वित्तीय एवं परिचालक संरचना को लेकर सवाल किया। उन्होंने बीओटी, पीपीए गारंटी, निजी निवेश और PPP मॉडल के माध्यम से एसएमआर तैनाती को गति देने के लिए केंद्र से जानकारी मांग।
एसएमआर हेतु भारतीय उद्योगों के लिए स्थानीयकरण लक्ष्य, भारी फोर्जिंग से लेकर रिएक्टर प्रेशर वेसल तक घरेलू विनिर्माण क्षमताओं पर सवाल किया। साथ ही औद्योगिक क्षेत्रों के निकट SMR स्थापना हेतु सुरक्षा मानकों, जन-जागरूकता कार्यक्रमों और नियामक पारदर्शिता पर विस्तृत जानकारी तथाडे टा सेंटरों और आधुनिक उद्योगों के लिए प्रतिस्पर्धी टैरिफ सुनिश्चित करने की रणनीतियों पर महत्वपूर्ण प्रश्न उठाया।
सांसद अग्रवाल ने दीर्घकालिक अपशिष्ट परिवहन दिशा-निर्देशों और अगले पाँच वर्षों की मानव संसाधन जरूरतों को पूरा करने वाले कौशल कार्यक्रमों पर दिशा स्पष्ट करने की मांग की और बीएचईएल, इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड, एनपीसीआईएल और अन्य पीएसयू के योगदान पर जानकारी मांगी।
जिस पर राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि, भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) ने प्रेशराइज्ड वॉटर रिएक्टर टेक्नोलॉजी पर आधारित 200 MW भारत स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (BSMR-200) का डिजाइन शुरू कर दिया है। इसके अलावा, ग्रीन हाइड्रोजन प्रोडक्शन के लिए खास तौर पर एक 5 MW हाई-टेंपरेचर गैस-कुल्ला रिएक्टर डेवलप किया जा रहा है, जो इंडस्ट्रियल डीकार्बनाइजेशन के लिए एक जरूरी कदम है।
NTPC ने दो महत्वपूर्ण MoU साइन किए हैं. एक मध्य प्रदेश सरकार के साथ (24 फरवरी, 2025) और दूसरा छत्तीसगढ़ सरकार के साथ (10 मार्च, 2025)।
इन समझौतों का मकसद पानी की उपलब्धता और क्लीयरेंस के आधार पर, हर राज्य में न्यूक्लियर प्रोजेक्ट डेवलप करने के मौकों का पता लगाना है।
सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि SMRs स्टील और सीमेंट जैसे उद्योगों के लिए कैप्टिव प्लांट के तौर पर काम करेंगे जो छत्तीसगढ़ के प्रमुख सेक्टर हैं। प्राइवेट इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ग्रीन पावर पर मालिकाना हक जैसे इंसेंटिव देने पर विचार कर रही है, जिससे उद्योगों की एक्सपोर्ट पर लगने वाले ग्लोबल कार्बन टैक्स से बचने में मदद मिलेगी।
इसके महत्व के बारे में बात करते हुए रायपुर के सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने कहा:
“स्मॉल मॉडयूलर रिएक्टर सिर्फ एक टेक्नोलॉजिकल बदलाव नहीं हैं. वे हमारे औद्योगिक क्षेत्रों के लिए ऊर्जा का पक्का भविष्य हैं।
PM के विजन और छत्तीसगढ़ के लिए साइन किए गए MoU के साथ, हम एक ऐसे समय की ओर बढ़ रहे हैं जहाँ हमारी स्टील और सीमेंट इंडस्ट्री और AI टेक्नोलॉजी के लिए जरूरी क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर साफ, भरोसेमंद न्यूक्लियर पावर पर चलेंगे, जिससे आर्थिक विकास और पर्यावरण सुरक्षा दोनों ही सुनिश्चित होंगे।”
सांसद अग्रवाल ने कहा कि, “भारत के ऊर्जा भविष्य में छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। वे हरित, सुरक्षित, उद्योग-केंद्रित और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में निर्णायक योगदान देंगे। मेरी प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि छत्तीसगढ़ और भारत इस तकनीकी क्रांति में अग्रणी बनें।
छत्तीसगढ़ के लिए बड़ी उपलब्धि
सांसद अग्रवाल द्वारा उठाए गए प्रश्न से यह स्पष्ट है कि, छत्तीसगढ़ अब भारत की परमाणु ऊर्जा विस्तार नीति में प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहा है। एनटीपीसी के साथ हुए एमओयू आने वाले समय में प्रदेश में निवेश, रोजगार और हाई-टेक ऊर्जा इंफ्रास्ट्रक्चर की बड़ी संभावनाएँ खोलते हैं।
सांसद बृजमोहन का यह सिर्फ एक संसदीय प्रश्न नहीं, बल्कि भारत को भविष्य की परमाणु अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने वाला राष्ट्रीय विज़न है।

