रायपुर। छत्तीसगढ़ में मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व संसदीय सचिव एवं “छाया सांसद” विकास उपाध्याय ने आरोप लगाया है कि SIR के नाम पर प्रदेश में करीब 27 लाख लोगों के नाम मतदाता सूची से काट दिए गए हैं, जिनमें बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जो पिछले 50 वर्षों से भी अधिक समय से छत्तीसगढ़ में रह रहे हैं।
विकास उपाध्याय ने सवाल उठाया कि जिन 27 लाख नामों को हटाया गया है, उनमें से कितने लोग वास्तव में घुसपैठिए हैं, इसकी सूची चुनाव आयोग और सरकार सार्वजनिक करें। उन्होंने कहा कि जब छत्तीसगढ़ में अभी चुनावों में करीब तीन साल का समय शेष है, तो फिर SIR की प्रक्रिया में इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई गई।
फॉर्म भरने की समय-सीमा पर सवाल
उपाध्याय ने बताया कि चुनाव आयोग द्वारा SIR फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 18 दिसंबर 2025 निर्धारित की गई थी, लेकिन बड़ी संख्या में लोग इस अवधि में फॉर्म नहीं भर पाए। इसके बावजूद फॉर्म भरने की तिथि नहीं बढ़ाई गई, जिससे लाखों मतदाता प्रक्रिया से बाहर हो गए।उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में कुल 2 करोड़ 12 लाख मतदाता थे, जिनमें से 27 लाख नाम हटाए जाने की सूचना बेहद चिंताजनक है। कांग्रेस का आरोप है कि यह प्रक्रिया निष्पक्ष न होकर राजनीतिक रूप से प्रेरित है।
चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप
विकास उपाध्याय ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर काम कर रहा है और SIR के माध्यम से भाजपा को राजनीतिक लाभ पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने दावा किया कि देश के कई हिस्सों में जहां-जहां SIR हुआ है, वहां बीएलओ (BLO) पर दबाव बनाए जाने के मामले सामने आए हैं।उन्होंने यह भी कहा कि कुछ राज्यों में दबाव के चलते BLO द्वारा आत्महत्या जैसे गंभीर प्रकरणों की खबरें भी सामने आई हैं, जो इस प्रक्रिया की गंभीरता पर सवाल खड़े करती हैं।
समय बढ़ाने की मांग को किया गया नजरअंदाज
उपाध्याय ने कहा कि छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज ने SIR फॉर्म भरने की अवधि कम से कम तीन महीने करने की मांग की थी, लेकिन चुनाव आयोग ने इसे नजरअंदाज कर दिया। इसके बजाय, केवल एक महीने की सीमित अवधि में SIR प्रक्रिया पूरी कराई गई।उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में लोग ऐसे हैं जो सुबह काम पर निकलते हैं और रात में घर लौटते हैं, ऐसे में उनके लिए सीमित समय में SIR फॉर्म भर पाना बेहद कठिन था। इसके बावजूद चुनाव आयोग ने कोई राहत नहीं दी।
बिहार का उदाहरण दिया
विकास उपाध्याय ने बिहार का हवाला देते हुए कहा कि वहां भी SIR के नाम पर 65 लाख मतदाताओं के नाम काटे गए, लेकिन भाजपा आज तक यह स्पष्ट नहीं कर पाई कि उनमें से कितने लोग वास्तव में घुसपैठिए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा घुसपैठियों के नाम पर राजनीति तो करती है, लेकिन ठोस आंकड़े सार्वजनिक करने से बचती है।कांग्रेस नेता ने स्पष्ट किया कि SIR के माध्यम से जिन वैध और जायज मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं, उनके साथ कांग्रेस पार्टी मजबूती से खड़ी है और इस मुद्दे को राजनीतिक व कानूनी स्तर पर उठाया जाएगा।SIR को लेकर उठे इन सवालों के बाद अब सभी की नजरें चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया और आगे की कार्रवाई पर टिकी हुई हैं। यह विवाद आने वाले समय में छत्तीसगढ़ की राजनीति में और तेज होने के संकेत दे रहा है।

