रायपुर। कांग्रेस सांसद शशिकांत सेंथिल ने केंद्र सरकार और भाजपा पर लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भाजपा न तो मजबूत विपक्ष चाहती है और न ही स्वस्थ लोकतंत्र। उसका उद्देश्य कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों को खत्म करना है, जिसका सबसे बड़ा उदाहरण नेशनल हेराल्ड मामला है, जहां जांच एजेंसियों का इस्तेमाल राजनीतिक दबाव बनाने के लिए किया जा रहा है।
रायपुर स्थित राजीव भवन में आयोजित कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए शशिकांत सेंथिल ने कहा कि नेशनल हेराल्ड केस में अदालत ने कई सवाल उठाए हैं और यह स्पष्ट हुआ है कि बिना किसी ठोस अपराध के आरोप लगाए गए। उन्होंने आरोप लगाया कि एक निजी शिकायत के आधार पर ईडी द्वारा कार्रवाई की गई और बिना किसी प्रत्यक्ष आपराधिक लेन-देन के पीएमएलए जैसे कठोर कानून का प्रयोग किया गया। इससे साफ है कि जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर विपक्ष को डराने और दबाने की कोशिश हो रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा का ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ का नारा वास्तव में लोकतंत्र को कमजोर करने की सोच को दर्शाता है।
इस प्रेस वार्ता में पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, पूर्व मंत्री शिव डहरिया, पूर्व मंत्री प्रेम साय सिंह टेकाम सहित प्रदेश के कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता मौजूद रहे।
सांसद सेंथिल ने मनरेगा योजना में किए गए बदलावों को लेकर भी केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना केवल नाम बदलने तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसकी मूल भावना को ही समाप्त किया जा रहा है। यह योजना ग्रामीण मजदूरों के लिए सामाजिक सुरक्षा की मजबूत आधारशिला थी, लेकिन बीते वर्षों में इसे योजनाबद्ध तरीके से कमजोर किया गया है।
उन्होंने बताया कि पहले मनरेगा एक मांग-आधारित योजना थी, जिसमें राज्यों की मांग के अनुसार काम उपलब्ध कराया जाता था, लेकिन अब इसे सीमित बजट वाली योजना बना दिया गया है। इसके कारण पंचायत स्तर पर मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा है और बजट का हवाला देकर उन्हें वापस लौटाया जा रहा है।
शशिकांत सेंथिल ने आरोप लगाया कि मनरेगा में 60:40 जैसे नए प्रावधान लागू कर दिए गए हैं, जिससे खेती के सीजन में रोजगार के अवसर सीमित हो जाएंगे। साथ ही अब यह भी केंद्र सरकार तय करेगी कि किस राज्य में मनरेगा का काम चलेगा और किस राज्य में नहीं। उन्होंने इसे संघीय ढांचे और राज्यों के अधिकारों पर सीधा हमला बताया।
सांसद ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस इन फैसलों के खिलाफ सड़क से लेकर संसद तक आंदोलन करेगी। उन्होंने कहा कि जिस तरह केंद्र सरकार को तीनों कृषि कानून वापस लेने पड़े थे, उसी तरह मनरेगा से जुड़े जनविरोधी फैसलों को भी वापस लेना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सरकार मजदूरों को कमजोर समझकर दबाने की कोशिश कर रही है, लेकिन मजदूर अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना जानते हैं।

