नई दिल्ली। 8वें वेतन आयोग को लेकर केंद्र सरकार की ओर से बड़ी घोषणा की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में आयोग के ‘टर्म्स ऑफ रेफरेंस’ (Terms of Reference – ToR) को मंजूरी दे दी गई। इसके साथ ही आयोग के गठन की औपचारिक प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बैठक के बाद बताया कि सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई को 8वें केंद्रीय वेतन आयोग की चेयरपर्सन नियुक्त किया गया है। उनके साथ आईआईएम बैंगलुरु के प्रोफेसर पुलक घोष अंशकालिक सदस्य (Part-Time Member) के रूप में और पंकज जैन, सचिव (पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय), सदस्य-सचिव (Member Secretary) के रूप में कार्य करेंगे।
सरकार के अनुसार, 8वां वेतन आयोग एक अस्थायी निकाय होगा, जो अपने गठन की तिथि से 18 महीनों के भीतर अपनी अंतिम सिफारिशें सरकार को सौंपेगा। आयोग को आवश्यकता पड़ने पर अंतरिम रिपोर्ट (Interim Report) देने का भी अधिकार होगा। आयोग का मुख्य कार्य केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन ढांचे, भत्तों, सेवा शर्तों और पेंशन लाभों की समीक्षा करना और मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों के अनुरूप संशोधन की सिफारिशें करना होगा।
सरकार ने आयोग को निर्देश दिया है कि वह अपनी सिफारिशें तैयार करते समय राजकोषीय अनुशासन, मौजूदा आर्थिक स्थिति, विकास और कल्याण योजनाओं के लिए आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता को ध्यान में रखे। आयोग यह भी अध्ययन करेगा कि केंद्र सरकार की सिफारिशों का राज्यों के वित्तीय ढांचे पर क्या असर पड़ेगा, क्योंकि अधिकतर राज्य केंद्र की वेतन आयोग सिफारिशों को संशोधित रूप में लागू करते हैं। इसके अलावा, आयोग केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों (CPSUs) और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के वेतन और कार्य स्थितियों का भी तुलनात्मक विश्लेषण करेगा।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने जनवरी 2025 में 8वें वेतन आयोग के गठन की घोषणा की थी। 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें वर्ष 2016 में लागू की गई थीं। आमतौर पर हर दस वर्ष में वेतन आयोग का गठन किया जाता है, ऐसे में 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से प्रभावी हो सकती हैं। इस निर्णय से केंद्र सरकार के करीब 50 लाख कर्मचारियों और 69 लाख पेंशनभोगियों को प्रत्यक्ष रूप से लाभ मिलेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि आयोग की सिफारिशें न केवल कर्मचारियों के हित में होंगी, बल्कि सरकार के लिए वित्तीय संतुलन बनाए रखने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होंगी।

