रायपुर। राज्य में पूंजीगत व्यय की धीमी गति और लंबित प्रशासनिक स्वीकृतियों को लेकर मुख्य सचिव विकासशील ने मंगलवार को सभी विभागों की विस्तृत समीक्षा की। समीक्षा में खुलासा हुआ कि कई विभागों में बजट जारी होने के बावजूद योजनाएं एक से दो वर्षों तक स्वीकृति प्रक्रियाओं में अटकी रहीं, जिससे कार्य समय पर शुरू नहीं हो पाए। मुख्य सचिव ने इसे गंभीर लापरवाही माना और संबंधित विभागों से स्पष्टीकरण मांगा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि ऐसी ही योजनाएं बनाई जाएं, जिन्हें तय समयसीमा में पूरा किया जा सके।
बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने सचिवों की बजाय सीधे विभागीय डायरेक्टरों और एमडी से जवाब मांगे। एसएनए–स्पर्श प्रणाली में ऑनबोर्डिंग और भुगतान की धीमी प्रगति को लेकर उन्होंने कई विभागों को फटकार लगाई। कुछ अधिकारियों ने देरी के पक्ष में आंकड़ों का हवाला देने की कोशिश की, लेकिन पूरी तैयारी के साथ बैठक ले रहे मुख्य सचिव ने उन्हें कड़ी चेतावनी दी।
समीक्षा में सीजीएमएससी की निर्माण कार्यों में भागीदारी पर भी सवाल उठे। मुख्य सचिव ने कहा कि यह संस्था मूल रूप से दवाइयों और स्वास्थ्य उपकरणों की आपूर्ति के लिए गठित की गई है, इसलिए इंजीनियरिंग विशेषज्ञता वाले निर्माण कार्य संबंधित विभागों को ही सौंपे जाएं। इस संबंध में विभागों से विस्तृत मत मांगा गया है।
विधानसभा में घोषित योजनाओं की धीमी प्रगति पर असंतोष जताते हुए मुख्य सचिव ने बजट घोषणाओं को प्राथमिकता से पूरा करने के निर्देश दिए। ई-ऑफिस और ऑनलाइन एसीआर की समीक्षा के दौरान उन्होंने निर्देश दिया कि अगले वर्ष तक सभी जिला कार्यालय ई-ऑफिस से जुड़े हों और आधार आधारित बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली हर विभाग में सख्ती से लागू की जाए। e-HRMS पोर्टल पर कर्मचारियों के ऑनबोर्डिंग की जिम्मेदारी विभागीय स्थापना शाखाओं को दी गई।
मुख्य सचिव ने सभी सचिवों को अपने विभागों के लिए तीन वर्षीय विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश भी दिए, ताकि योजनाओं का क्रियान्वयन व्यवस्थित रूप से आगे बढ़ सके। उन्होंने स्पष्ट कहा कि 31 दिसंबर तक लंबित प्रशासनिक स्वीकृतियां, भुगतान और निर्धारित कार्य प्रगति हर हाल में पूरी होनी चाहिए। विभागवार लक्ष्य उन्होंने स्वयं नोट किए और चेतावनी दी कि अगली समीक्षा बैठक में सिर्फ वास्तविक प्रगति ही स्वीकार की जाएगी।

