रायपुर। बस्तर को पहचान दिलाने वाली कई खूबसूरत जगहें है उन्ही में से एक है, छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा तालाब दलपत सागर, दलपत सागर आज प्रदूषण और अतिक्रमण की मार झेल रहा है। करीब 400 एकड़ में फैला यह तालाब को राजा दलपत देव ने बनवाया था। जल आपूर्ति और कृषि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से निर्मित इस तालाब का रकबा लगातार अतिक्रमण की वजह से घटकर अब मात्र 100 से 125 एकड़ रह गया है।
स्थानीय नागरिकों और समितियों की मांग
स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार केवल बाहरी सौंदर्यीकरण पर ध्यान दे रही है, जबकि सबसे जरूरी तालाब की गहराई में जमा गंदगी को साफ करना है। दलपत सागर बचाव समिति ने आरोप लगाया कि वर्षों से सफाई अभियान के बावजूद स्थिति और बिगड़ी है।
संरक्षण को लेकर जनजागरूकता
आज दलपत सागर, जो बस्तर की संस्कृति और इतिहास का प्रतीक है, प्रदूषण और लापरवाही के कारण संकट में है। यदि इसे वैज्ञानिक और योजनाबद्ध तरीके से संरक्षित किया जाए और लोगो को जागरूक किया जाए तो दलपत पर्यावरण संतुलन और जनस्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा ,यह न केवल जगदलपुर की शान बना रहेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए धरोहर भी सुरक्षित होगी।
राजधानी रायपुर के तालाबों और खारुन नदी का हाल
वही राजधानी रायपुर में भी तालाबों के सौंदर्याकरण और जल संरक्षण के नाम पर साफ – सफाई और सुधार करने के लिए नगर निगम हर साल लाखों रुपए खर्च कर रहा है। मगर यहां तो शहर के कई तालाबों की स्थिती बदहाल हो गई है, तालाबों की सफाई न होने के कारण पानी दूषित हो गया है। वही जीवनदायिनी खारुन नदी में अब भी रायपुर नगर निगम क्षेत्र की तरफ से एक-दो नाले और कुम्हारी नगर पालिका क्षेत्र की ओर से करीब 10 नालों का पानी गिर रहा है। इस कारण खारुन नदी का प्रदूषण कम नहीं हो पा रहा है।