रायपुर। स्कूलों में बच्चों को परोसे जा रहे मध्यान्ह भोजन (Mid Day Meal) की गुणवत्ता को लेकर अब सरकार पूरी तरह गंभीर हो गई है। लगातार मिल रही शिकायतों और बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ी चिंताओं को देखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग ने भोजन की वैज्ञानिक जांच शुरू करने का निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना के अंतर्गत यह पहल पूरे राज्य में लागू की जा रही है।
सरकार ने भोजन की जांच के लिए ब्लू अर्थ यूबिक्सा टेस्टिंग लैबोरेटरी प्राइवेट लिमिटेड को अधिकृत किया है। यह लैब प्रत्येक जिले के सरकारी स्कूलों में जाकर बच्चों को परोसे जा रहे पके हुए भोजन के सैंपल इकट्ठा करेगी। इन सैंपलों की जांच लैब में की जाएगी, जहां भोजन की कैलोरी वैल्यू, प्रोटीन स्तर और पोषण गुणवत्ता का विश्लेषण होगा।
सूत्रों के अनुसार, कई जिलों से भोजन की गुणवत्ता को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही थीं। कहीं अधपका या बासी खाना परोसा जा रहा था तो कहीं बच्चों को दिए जाने वाले भोजन में पोषण तत्वों की भारी कमी पाई गई थी। इन शिकायतों की गंभीरता को देखते हुए स्कूल शिक्षा मंत्री गजेन्द्र यादव ने विभागीय अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा है कि “बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण से किसी भी प्रकार का समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जहां भी लापरवाही मिलेगी, संबंधित अधिकारियों और भोजन तैयार करने वाले समूहों पर कार्रवाई होगी।”
विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार, ब्लू अर्थ यूबिक्सा लैब की टीमें निर्धारित कार्यक्रम के तहत स्कूलों का दौरा करेंगी। टीम के सदस्य मौके पर जाकर भोजन के नमूने लेंगे और उन्हें सील कर लैब भेजा जाएगा। जांच रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया जाएगा कि परोसे गए भोजन में कितनी कैलोरी, प्रोटीन, आयरन, और अन्य पोषक तत्व मौजूद हैं।
राज्य के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों (DEO) को निर्देश दिए गए हैं कि वे लैब प्रतिनिधियों को पूर्ण सहयोग प्रदान करें और यह सुनिश्चित करें कि किसी भी स्कूल में जांच प्रक्रिया में बाधा न आए।
शिक्षा विभाग का कहना है कि इस कदम से न केवल भोजन की गुणवत्ता पर निगरानी बढ़ेगी, बल्कि बच्चों को पौष्टिक और स्वच्छ भोजन उपलब्ध कराने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण सुधार होगा। विभाग भविष्य में इस जांच प्रक्रिया को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ने की भी तैयारी कर रहा है, ताकि परिणामों की रीयल-टाइम मॉनिटरिंग की जा सके।
इस नई पहल से उम्मीद की जा रही है कि राज्यभर के करीब 50 लाख स्कूली बच्चों को बेहतर और पौष्टिक मध्यान्ह भोजन मिल सकेगा, जिससे उनकी सेहत और पढ़ाई दोनों पर सकारात्मक असर पड़ेगा।

