छत्तीसगढ़ में जल जीवन मिशन के कथित अनियमितताओं को लेकर हाई कोर्ट में 15 सितंबर को सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता रमाकांत मिश्रा ने अदालत को बताया कि इस मिशन के लिए केंद्र की 50% राशि अब तक जारी नहीं की गई है। इस मामले पर उच्च न्यायालय ने अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की डिवीजन बेंच ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि कोई भी अधिकारी जवाबदेही से बच नहीं सकेगा और ऐसा कोई प्रयास स्वीकार नहीं किया जाएगा।
उच्च न्यायालय ने लिया स्वत: संज्ञान
बिलासपुर जिले में जल जीवन की अनियमितताओं से जुड़ी खबरें सामने आने के बाद छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने खुद ही इस मामले का संज्ञान लिया। अदालत ने इसे जनहित याचिका का रूप देते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह एक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर यह जानकारी दे कि मिशन कब शुरू हुई और इसकी निर्धारित अंतिम तिथि क्या है।
33 गांव में पेयजल का अभाव
पहली सुनवाई के दौरान यह सामने आया कि जल जीवन मिशन में 33 गांव में स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति नहीं हो रही है। गड़बड़ियों के चलते हजारों ग्रामीणों को परेशानी झेलनी पड़ रही है और कुछ स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा तक उपलब्ध नहीं है। इस योजना में राज्य और केंद्र सरकार की समान 50-50 प्रतिशत भागीदारी है।

