सुकमा। जिले के कोन्टा ब्लॉक में आदिवासी किसानों ने अपनी पुश्तैनी कृषि भूमि पर अवैध कब्जे और राजस्व अधिकारियों की कथित मिलीभगत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बस्तरिया राज मोर्चा के नेतृत्व में बड़ी संख्या में किसानों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की।
किसानों का आरोप है कि वर्षों से उनके कब्जे में रही कृषि भूमि पर बाहरी लोगों ने राजस्व अधिकारियों की मदद से फर्जी पट्टे तैयार करवा लिए हैं। इन्हीं कथित फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अब किसानों को अपनी ही जमीन से बेदखल करने का दबाव बनाया जा रहा है।

फर्जी पट्टों के जरिए दबाव बनाने का आरोप
कोन्टा विकासखंड के मुकरम, चिमलीपेंटा, केरलापेंदा, चिंतलनार सहित आठ से अधिक गांवों के किसानों ने शिकायत की है कि बाहरी लोग जमीन पर मालिकाना हक जता रहे हैं। किसानों का कहना है कि उन्हें पुलिस और राजस्व प्रशासन के नाम पर नोटिस भेजकर डराया-धमकाया जा रहा है।
किसानों ने मांग की है कि सभी संदिग्ध पट्टों की निष्पक्ष जांच कराई जाए और वनाधिकार मान्यता कानून 2006 (FRA) के तहत वर्षों से काबिज आदिवासी किसानों को तत्काल व्यक्तिगत एवं सामुदायिक पट्टे प्रदान किए जाएं।
वन विभाग की CPT योजना पर सवाल
किसानों ने वन विभाग की सीपीटी (पशु अवरोधक नाली) योजना पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि खेती योग्य भूमि के चारों ओर जेसीबी से गहरी खाइयां खोदी जा रही हैं, वह भी ग्राम सभा की अनुमति के बिना। किसानों ने इसे वनाधिकार कानून और पेसा अधिनियम का उल्लंघन बताते हुए योजना पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है।
रेल सर्वे रोकने की चेतावनी
आदिवासी समुदाय ने कोन्टा ब्लॉक में चल रहे रेल लाइन सर्वे का भी विरोध किया है। उनका कहना है कि जब तक काबिज किसानों को वनाधिकार पट्टे नहीं दिए जाते, तब तक रेल सर्वे पूरी तरह रोका जाए।
बस्तरिया राज मोर्चा ने चेतावनी दी है कि बिना जनसहमति के ऐसी परियोजनाएं जल, जंगल और जमीन पर कब्जे का जरिया बन सकती हैं। मांगें पूरी नहीं होने की स्थिति में व्यापक जनआंदोलन की चेतावनी देते हुए उन्होंने इसकी जिम्मेदारी प्रशासन पर डाली है।

