छत्तीसगढ़ में NHM कर्मचारियों की प्रदेश स्तरीय धरना प्रदर्शन: इन 10 सुत्रीय मांगों को लेकर कर रहे हड़ताल

रायपुर। छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एन.एच.एम.) के 16 हजार से अधिक संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल आज तीसरे दिन भी जारी है। अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर ये कर्मचारी 18 अगस्त से ‘काम बंद, कलम बंद’ आंदोलन कर रहे हैं। कर्मचारियों ने 15 अगस्त तक सरकार को मांगें पूरी करने का अल्टीमेटम दिया था, जिस पर कोई ठोस कार्रवाई न होने के कारण यह हड़ताल शुरू की गई है।

कर्मचारी संघों का कहना है कि वे पिछले 20 वर्षों से प्रदेश के सुदूर अंचलों तक स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ बने हुए हैं और कोविड-19 जैसी महामारी में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके बावजूद उन्हें स्थायीकरण, वेतन वृद्धि और अन्य मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा गया है।

रायपुर एन.एच.एम जिलाध्यक्ष के अनुसार, जब तक सरकार उनकी मांगों पर कोई सकारात्मक फैसला नहीं लेती, यह अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रहेगी। वहीं, कांकेर में भी कर्मचारियों ने प्रदेश स्तरीय धरना प्रदर्शन कर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। आंदोलनरत कर्मचारियों का कहना है कि नियमितीकरण की मांग को लगातार नजरअंदाज किए जाने के कारण वे अब आर-पार की लड़ाई के लिए मजबूर हुए हैं। इस हड़ताल के कारण ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं पर असर पड़ रहा है।

कांकेर से आई तस्वीरें :-

जानिये क्या है 10 मुख्य मांगें

* संविलियन एवं स्थायीकरण

* पब्लिक हेल्थ कैडर की स्थापना

* ग्रेड पे का निर्धारण

* कार्य मूल्यांकन व्यवस्था में पारदर्शिता

* लंबित 27 प्रतिशत वेतन वृद्धि

* नियमित भर्ती में सीटों का आरक्षण

* अनुकंपा नियुक्ति

* मेडिकल एवं अन्य अवकाश की सुविधा

* स्थानांतरण नीति

* न्यूनतम 10 लाख कैशलेस चिकित्सा बीमा

हड़ताल से क्या प्रभाव पड़ेगा

आपको बता दें कि, हड़ताल के कारण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) और उप-स्वास्थ्य केंद्रों में काम रुका हुआ है। टीकाकरण अभियान, ओपीडी सेवाएं और अन्य सामान्य चिकित्सा कार्य ठप हो गए हैं। NHM कर्मचारी टीकाकरण कार्यक्रमों और गर्भवती महिलाओं व बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाओं में अहम भूमिका निभाते हैं। हड़ताल से इन सेवाओं में बाधा आ रही है, जिससे विशेष रूप से ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य जोखिम बढ़ सकता है।

भले ही कोविड-19 का प्रकोप कम हो गया हो, लेकिन अभी भी NHM कर्मचारी इसकी रोकथाम और अन्य बीमारियों के लिए निगरानी में महत्वपूर्ण हैं। उनकी गैर-मौजूदगी से इन कार्यों में भी दिक्कतें आ रही हैं। अस्पतालों में संविदा कर्मचारियों की कमी से मरीजों को लंबी कतारों और इलाज में देरी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उन्हें काफी परेशानी हो रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *