महिला डीएसपी के विरुद्ध जारी वेतन वसूली आदेश रद्द, हाईकोर्ट ने दी राहत; 5 वर्ष से अधिक पुरानी वसूली को बताया अवैध

बिलासपुर। उच्च न्यायालय, बिलासपुर ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में महिला उप पुलिस अधीक्षक (डीएसपी) एस.एस. टेकाम के विरुद्ध जारी वेतन वसूली आदेश को निरस्त कर दिया है। साथ ही आदेश दिया है कि उनके वेतन से की गई वसूली की पूरी राशि उनके बैंक खाते में वापस जमा की जाए। यह फैसला उन सरकारी कर्मचारियों के लिए भी मिसाल माना जा रहा है, जिन्हें सेवा अवधि के अंतिम दौर में वेतन वसूली के आदेश जारी किए जाते हैं।

क्वार्टर नंबर AG/1, आसमां कॉलोनी, बिलासपुर निवासी एवं पूर्व में कार्यालय पुलिस महानिरीक्षक (IGP) बिलासपुर में पदस्थ रही डीएसपी एस.एस. टेकाम के खिलाफ पुलिस अधीक्षक (एसपी) बिलासपुर द्वारा वसूली आदेश जारी किया गया था। आरोप था कि पदस्थापना अवधि के दौरान वेतन नियतन में हुई त्रुटि के कारण उन्हें अधिक वेतन दे दिया गया, जिसे वसूलना आवश्यक बताया गया था। इसके आधार पर उनके वेतन से कटौती प्रारंभ की गई थी।

वसूली आदेश के खिलाफ क्षुब्ध होकर डीएसपी टेकाम ने हाईकोर्ट अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं वर्षा शर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट में रिट याचिका दाखिल की। याचिकाकर्ता की ओर से यह प्रमुख तर्क रखे गए कि—

वसूली आदेश 5 वर्ष से अधिक पुराने भुगतान से संबंधित था, जो नियमों के विरुद्ध है।

आदेश सेवानिवृत्ति तिथि से मात्र 6 माह पूर्व जारी किया गया, जो पूरी तरह अवैध है, क्योंकि सेवा निवृत्ति से 1 वर्ष पूर्व ऐसी वसूली नहीं की जा सकती।

अधिवक्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण फैसलों का हवाला दिया, जिनमें मुख्य रूप से शामिल थे—

स्टेट ऑफ पंजाब बनाम रफीक मसीह (व्हाइट वॉशर)

थॉमस डेनियल बनाम स्टेट ऑफ केरल

भगवान शुक्ला बनाम यूनियन ऑफ इंडिया

इसी के साथ हाईकोर्ट बिलासपुर की डिवीजन बेंच के स्टेट ऑफ छत्तीसगढ़ बनाम लाभाराम ध्रुव मामले में दिए गए निर्णय का उल्लेख किया गया, जिनमें यह सिद्धांत स्पष्ट रूप से स्थापित है कि—

“किसी भी शासकीय कर्मचारी से सेवानिवृत्ति के एक वर्ष के भीतर अथवा 5 वर्ष से अधिक पुराने कथित अधिक वेतन भुगतान की वसूली नहीं की जा सकती।”

हाईकोर्ट ने argumentos से सहमत होते हुए कहा कि याचिकाकर्ता से वसूली पूर्णतः नियम विरुद्ध थी और इसे जारी रखना न्याय संगत नहीं है। कोर्ट ने वसूली आदेश को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया और पुलिस महानिरीक्षक (IGP) बिलासपुर तथा पुलिस अधीक्षक (SP) बिलासपुर को निर्देश दिया कि—

याचिकाकर्ता के वेतन से की गई संपूर्ण वसूली राशि उनके बैंक खाते में वापस जमा की जाए।

इस निर्णय को सरकारी कर्मचारियों एवं अधिकारियों के हित में एक महत्वपूर्ण न्यायिक राहत माना जा रहा है। विशेष रूप से उन मामलों में, जहां वर्षों पुराने वेतन नियतन के आधार पर सेवानिवृत्ति के अंतिम चरण में वसूली आदेश जारी कर दिए जाते हैं।यह फैसला न केवल डीएसपी एस.एस. टेकाम के लिए राहत लेकर आया है बल्कि अन्य सरकारी कर्मचारियों के लिए भी भविष्य का महत्वपूर्ण संदर्भ निर्णय होगा।

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