बिलासपुर। बिलासपुर रेल मंडल में एक बार फिर बड़ा हादसा टल गया। कोटमीसोनार और जयरामनगर स्टेशन के बीच एक ही ट्रैक पर तीन ट्रेनें आने से यात्रियों के बीच दहशत फैल गई। दो मालगाड़ियों के बीच एक पैसेंजर ट्रेन फंस गई। अचानक ट्रेनें आमने–सामने दिखाई देने पर यात्रियों में घबराहट मच गई और कई यात्री ट्रेन से उतरकर भागने लगे। यह घटना हाल ही में हुए बड़े रेल हादसे के ठीक दो दिन बाद सामने आई, जिसके कारण दहशत और बढ़ गई।
4 नवंबर को हुआ था भीषण रेल हादसा
4 नवंबर को बिलासपुर रेल मंडल में मेमू ट्रेन एक मालगाड़ी से टकरा गई थी, जिसमें 11 लोगों की मौत और 20 से अधिक यात्री घायल हुए थे। वह मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि दोबारा एक घटना होने से यात्रियों में डर का माहौल बन गया।
क्या हुआ आज?
सूत्रों के मुताबिक, मंगलवार को अचानक एक ही ट्रैक पर दो मालगाड़ियां और उनके बीच एक पैसेंजर ट्रेन आ गई। स्थिति संदिग्ध दिखाई देने पर यात्रियों ने खिड़की से बाहर देखा तो पाया कि तीनों ट्रेनें एक ही लाइन पर हैं। इस दृश्य ने 4 नवंबर के हादसे की यादें ताज़ा कर दीं, और लोग घबराकर ट्रेन से नीचे उतरने लगे।रेलवे कर्मियों ने तुरंत स्थिति संभाली और कुछ देर बाद सिस्टम को रीसेट कर ट्रेनों को सुरक्षित रूप से अलग-अलग ट्रैक पर भेजा गया। घटना में किसी भी यात्री को चोट नहीं आई।
रेलवे ने दिया आधिकारिक स्पष्टीकरण
घटना के बाद सोशल मीडिया और स्थानीय स्तर पर इसे लेकर कई तरह की अफवाहें फैलनी शुरू हो गईं। इस पर रेलवे प्रशासन ने बयान जारी करते हुए कहा कि:
“यह ऑटोमैटिक सिग्नलिंग प्रणाली का सामान्य परिचालन है। इस प्रणाली में प्रत्येक किलोमीटर की दूरी पर सिग्नल लगाए जाते हैं, और हर सिग्नल के बाद दूसरी ट्रेन चलाई जा सकती है। मालगाड़ी और यात्री गाड़ियों के लिए अलग-अलग ट्रैक नहीं होते। दोनों एक ही ट्रैक पर सुरक्षित दूरी और सिग्नलिंग व्यवस्था के तहत संचालित की जाती हैं।”
रेलवे ने आगे स्पष्ट किया कि ऑटोमैटिक सिग्नलिंग प्रणाली वर्ष 2023 से इस रेलखंड में लागू है, और यह अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित पूर्णत: सुरक्षित तकनीक है।रेलवे ने अफवाहों से बचने की अपील करते हुए कहा:
“ऐसे भ्रामक समाचारों पर ध्यान न दें और अफवाहें न फैलाएं। यह किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या लापरवाही का मामला नहीं है।”
यात्री क्यों घबराए?
चूंकि हाल ही में बड़ी दुर्घटना हुई थी, ऐसे में यात्रियों के मन में भय होना स्वाभाविक था। यात्रियों ने कहा कि—
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“हमने हादसे के बाद रेलवे से अधिक सावधानी की अपेक्षा की थी”
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“एक ही ट्रैक पर तीन ट्रेनें दिखना सुरक्षित नहीं लगता”
कुछ यात्रियों ने रेलवे की पारदर्शिता और सुरक्षा प्रबंधन पर सवाल भी उठाए।

